लीची की वैरायटी (Litchi varieties information in Hindi)
दोस्तों आज हम बात करेंगे लीची के विषय में लीची की वैरायटी कितने प्रकार की होती है।लीची से हमें कितने प्रकार के लाभ हो सकते हैं और लीची के महत्वपूर्ण विषय के बारे में जिससे हमें लीची से संबंधित सभी प्रकार की जानकारियां प्राप्त हो जाए।लीची से जुड़ी आवश्यक जानकारियों को प्राप्त करने के लिए हमारी पोस्ट के अंत तक जरूर बने रहे।
लीची
लीची एक ऐसा फल है जो स्वाद में सबसे अलग है लीची की बढ़ती मांग दुनियाभर में प्रचलित है। लीची ना सिर्फ स्वादिष्ट बल्कि या विटामिन से भी भरी हुई होती है। यदि आपको अब तक इस बारे में कोई जानकारी नहीं है कि लीची को पैदावार करने वाला देश चीन है। लेकिन ऐसा नहीं है कि लीची सिर्फ चीन में ही पैदा होती है भारत भी इस की पैदावार की श्रेणी में आता है। कृषि विशेषज्ञों के अनुसार लीची करीबन एक लाख टन से भी ज्यादा उत्पादन भारत देश में होता है।
इसकी अच्छी क्वालिटी की मांग स्थानीय से लेकर अंतरराष्ट्रीय बाजारों में भी बड़े पैमाने में बढ़ चढ़कर इसकी मांगे होती है।फल के रूप में लीची का सेवन वैसे तो किया जाता है, लेकिन विभिन्न प्रकार के जूस या तरल पदार्थ में भी इसका इस्तेमाल किया जाता है। जैसे लीची का शरबत बनाना, जैम आदि का उपयोग करना, नेक्टर, कार्बोनेटेड और भी कई पिए जाने वाले पदार्थों में लीची का उपयोग किया जाता है।
भारत देश में लीची कहां पाई जाती है
भारत देश में विभिन्न ऐसे राज्य और क्षेत्र है, जहां पर लीची का उत्पादन काफी मात्रा में होता है। उनमें से एक बिहार क्षेत्र है जहां पर लीची का उत्पादन होता है। मुजफ्फरपुर तथा दरभंगा जिलो में लीची की काफी भारी मात्रा में पैदावार होती है, तथा बिहार के क्षेत्र पश्चिमबंगाल ,असम और भारत के उत्तराखंड तथा पंजाब लीची की पैदावार करने वाले क्षेत्र है।
लीची की खेती के लिए कैसे जलवायु उपयुक्त हैं
लीची के लिए उपयुक्त जलवायु जनवरी और फरवरी के महीने में आसमान खुला - खुला साफ रहता है,तो इस बीच काफी शुष्क हवाएं चलती है। जिससे लीची में बेहतर मंजरी यानी( नया कल्ला) बनती है।लीची उत्पादन के लिए सबसे अच्छी जलवायु समशीतोष्ण की होती है। जलवायु के इस प्रभाव से लीची के फल काफी अच्छे आते हैं। लीची मार्च और अप्रैल के महीने में काफी अच्छी तरह से विकसित होती है, क्योंकि कम गर्मी पड़ने से इसकी गुणवत्ता अच्छी होती है तथा लीची के गूदे का अच्छा विकास होता है। लीची के फूल जनवरी-फरवरी में खिलते हैं तथा मई-जून में यह पूरी तरह से विकसित होकर तैयार हो जाती हैं।
विशिष्ट जलवायु लीची की खेती के लिए बहुत ही उपयोगी होती है। लीची की खेती करने वाले मुख्य देश है: जैसे देहरादून की घाटी, उत्तर प्रदेश का तराई क्षेत्र, उत्तरी बिहार, झारखंड प्रदेश,आदि इन क्षेत्रों में लीची की पैदावार काफी आसानी के साथ भारी मात्रा में लीची का उत्पादन होता है।
लीची की खेती के लिए मिट्टी का चुनाव
लीची की खेती के लिए किसान जिस मिट्टी का चुनाव किसान करते हैं ,जिससे लीची की फसल काफी अच्छी हो वह मिट्टी अम्लीय एवं लेटराइट होती है। गहरी बलुई दोमट मिट्टी जिसकी क्षमता जल धारण करने के लिए अधिक हो वह लीची की खेती के लिए बहुत ही उपयोगी साबित होती है। परंतु ध्यान रखने योग्य बातें जलभराव वाले क्षेत्र लीची उत्पादन के लिए बिल्कुल भी सही नहीं होते हैं। लीची की खेती जल निकास युक्त जमीन में करना बहुत लाभदायक होता है।
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लीची की वैरायटी
यदि हम बात करें लीची की वैरायटी की, तो भारत में काफी कम मात्रा में लीची की ( वैरायटी /किस्म) पाई जाती हैं।इसका मुख्य कारण यह हो सकता है,कि किसान इस की खेती या बुआई करने में काफ़ी देरी कर देते हैं। इन्हीं कारणों की वजह से यह काफी कम मात्रा में पाई जाती है।कृषि वैज्ञानिकों के अनुसार कुछ वर्षों में किसानों ने अपनी जी तोड़ मेहनत के बल पर कई अनेक प्रकार की लीची की किस्मों की खेती की है।किसानों ने लीची की पैदावार को बढ़ाने के लिए इनकी अनेक प्रकार की किस्मों की काफी सहायता भी ली है।
लीची की कुछ प्रमुख किस्म इस प्रकार है
किसानों द्वारा दी गई जानकारियों के अनुसार इनकी कुछ किस्मों का हमें ज्ञात हुआ है जो निम्न प्रकार है;
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कलकतिया लीची
दोस्तों जानते हैं कलकतिया लीची कि जो खाने में ही बहुत ही ज्यादा स्वादिष्ट होती है और इनकी जो बीज होती है वह आकार में काफी बड़ी होती है। या कलकतिया लीची की बहुत ही अच्छी किस्म है। कलकतिया लीची के फल जुलाई के महीने में आते हैं। कलकतिया लीची की किस्म पूरी तरह से पकने में काफी लंबा टाइम लेते हैं। कलकतिया लीची लगभग 23 ग्राम की होती है बात करें इन के छिलकों की तो यह दिखने में हल्की मोती रंग के नज़र आते हैं। लोग इस कलकतिया लीची की किस्म को बड़े ही चाव के साथ खाना पसंद करते हैं।
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लीची की देहरादून किस्म
देहरादून के फल लोगों में बहुत ही ज्यादा लोकप्रिय होते हैं, देहरादून के फल लोग बहुत ही ज़्यादा पसंद करते हैं। लीची की या किस्म बहुत ही जल्दी समय में फल देती है। लीची कि यह किस्म जून के महीने में तोड़ने के लायक हो जाती है।इसके फल काफी तेजी से पकना शुरू कर देते हैं। लीची की यह किस्म की रंगत दिखने में लोगों को अपनी ओर बहुत ही आकर्षित करती हैं। इनमें दरारे जल्दी आ जाती है और छिलके फटने लगते है। लीची की देहरादून किस्म बहुत पौष्टिक होती है।
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लीची की रोज सेंटेड किस्म
लीची की या किस्म खाने में मीठी होती है, दिखने में या एक गुलाब के तरह होती है।यह लीची की किस्म जून के महीने में पूरी तरह से पक जाती हैं।जब यह लीची पक जाती है तो दिखने में एकदम हृदय के आकार की प्रतीत होती है। बात करें, इसके भार की तो लगभग 18 ग्राम की होता है। इनके छिलके बैगनी रंग के साथ बहुत ही पतला भी होते है। लीची की रोज सेंटेड किस्म बहुत भी पौष्टिक होती हैं।
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लीची की अर्ली लार्ज रेड किस्म
लीची की अर्ली लार्ज रेड किस्म का बीज आकार बड़ा होता है। लीची की इस किस्म की खेती जून के महीने में होती है। इस लीची का भार 20 से 50 ग्राम का होता है। इस लीची के छिलके काफी हल्के होते हैं या दिखने में लाल रंग के होते हैं। इसमें मौजूद शर्करा 10 प्रतिशत पाया जाता है। तथा लीची की इस किस्म में लगभग 43% अम्लता मौजूद होता है।
लीची की किस्मों से जुड़ी कुछ आवश्यक बातें
लीची की किस्मों से जुड़ी कुछ आवश्यक बातें शाही लीची तथा बेदाना और चाइना लीची कि किस्म बहुत ही उपयोगी मानी जाती है।शाही लीची की खेती बेदाना की तुलना में काफी मात्रा में की जाती है।क्योंकि शाही लीची पूर्ण रुप से गुणवत्ता से भरी हुई होती है और इस में कई तरह के पौष्टिक तत्व भी मौजूद होते हैं।
दोस्तों हम उम्मीद करते हैं कि आपको हमारा लीची की वैरायटी का आर्टिकल काफी पसंद आया होगा।हमने अपने इस आर्टिकल में लीची की वैरायटी तथा लीची से जुड़ी सभी प्रकार की जानकारियों की पूरी डिटेल हमारे इस आर्टिकल में मौजूद है। यदि आप हमारी दी गई जानकारी से संतुष्ट है तो हमारे इस आर्टिकल को ज्यादा से ज्यादा अपने दोस्तों के साथ सोशल मीडिया पर शेयर करें। धन्यवाद।